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Chapter 3 धातु एंव अधातु

Sep 6, 2024

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  • Chapter 3


धातु एंव अधातु


कॉपर वह पहली धातु है। जिसका उपयोग बर्तनों, हथियारों तथा अन्य सामानों को बनाने में किया गया था।


धातुओं के भौतिक गुणधर्म :- 

(1) धातुओं की सतह चमकदार होती हैइस गुण को धात्विक चमक कहते है। 

(2) धातुएँ सामान्यतः कठोर होती है। प्रत्येक धातु की कठोरता अलग- अलग होती है। 

(3) कुछ धातुओं को पीट-पीटकर उन्हें पतली चादरों के रूप में ढाला जा सकता हैइस गुण को आघातवर्ध्यता कहते है । 

(4) धातुएँ सामान्यत: उष्मा की सुचालक होती है। 

(5) जो धातुएँ किसी कठोर सतह से टकराती हैऔर आवाज उत्पन्न करती हैउन्हें ध्वनिक कहते है। 

(6) धातुओं को तार के रूप में रखींचा जा सकता हैधातुओं के इस गुण को तन्यता कहते है


धातुओं के रासायनिक गुणधर्म :- 

(1) धातुओं का दहन :- धातुएँ ऑक्सीजन से क्रिया करके धातु ऑक्साइड बनाती हैं।  धातु + ऑक्सीजन  धातु ऑक्साइड

उदाहरण:

2Cu + O2 2CUO 

4Al + 3O2 2Al2O3 


उभयधर्मी ऑक्साइड :- ऐसे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षारक दोनों से अभिक्रिया करके लवण तथा जल प्रदान करते है उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते है। 

उदाहरण :

Al2O3  + 6HCl2AlCl3 + 3H2 

Al2O3  + 2NaOH2 NaAlO2 + H20 

सोडियम एलुमिनेट


ऐनोडीकरण :- ऐलुमिनियम पर मोटी ऑक्साइड की परत बनाने की प्रक्रिया है। वायु के संपर्क में आने पर ऐलुमिनियम पर ऑक्साइड की तली परत का निर्माण होता हैऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत इसे संक्षारण से बचाती हैऐनोडीकरण के लिए ऐलुमिनियम की एक साफ वस्तु को ऐनोड बनाकर तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ इसका विद्युत अपघटन किया जाता है। 


धातुओं की जल के साथ अभिक्रियाँ :- धातुएँ जल के साथ अभिक्रिया 

करके हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड उत्पन्न करती है। 

धातु जल  धातु ऑक्साइड + हाइड्रोजन गैस 


उदाहरण:

2K + 2H2 2KOH + H2 

2Na + 2H2 2NaOH + H2 


धातुओं की अम्लों के साथ अभिक्रियाँ :- धातुएँ अम्ल के साथ अभिक्रिया करके संगत लवण तथा हाइड्रोजन गैस देती है। 

धातु + अम्ल → लवण + हाइड्रोजन गैस 

Mg+ 2HCl  MgCl2+ H2 

Zn + 2HCl ZnCl + H2 


धातुओं की धातु लवणों के साथ अभिक्रियाँ :- सभी धातुओं की क्रियाशीलता में अपने से कम क्रियाशील धातु को अन्तर होता हैअधिक अभिक्रियाशील धातु, उसके यौगिक के विलयन या गलित अवस्था से विस्थापित कर देती है। 

धातु (A) + (B) का लवण विलयन →(A) का लवण विलयन + धातु (B

ऐक्वारेजिया :- [ रॉयल जल का लैटिन शब्द ] यह 3:1 के अनुपात मे सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सांद्र नाइट्रिक अम्ल का ताजा मिश्रण होता हैयह गोल्ड को भी गला सकता हैऐक्वारेजिया भभकता द्रव होने के साथ प्रबल संक्षारक हैयह गोल्ड एवं प्लेटिनम जैसी धातुओं को गलाने में समर्थ होता है 


सक्रियता श्रेणी : धातुओं की क्रियाशीलता को अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर जो सूची प्राप्त होती हैउसे सक्रियता श्रेणी कहते है। 

सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु :- सोडियम, पोटैशिय 

सबसे कम अभिक्रियाशील धातु :- गोल्ड, म्लेटिनम 


अधातु :- धातुओं की तुलना में अधातुओं की संख्या कम होती है। 

उदाहरण :- सल्फर, आयोडिन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन आदि । 

ब्रोमीन ऐसी अधातु हैजो द्रव अवस्था में होती है ।। 

इसके अलावा सभी अधातुएँ या तो ठोस हैं या गैस 

अधातुओं के गुणधर्म :- 

(1) अधातुएँ आघातवर्ध्य नहीं होती हैं। 

(2) अधातुएँ तन्य नहीं होती है। तथा वे भगुर होती हैं। 

(3) अधातुएँ उष्मा की कुचालक होती हैं। 

(4) अधातुओं में चमक नहीं होती हैं। 

(5) अधातुओं के गलनांक एंव स्वथनांक अपेक्षाकृत कम होते है। 

(6) अधातुएँ कमरे के नाम पर ठोस, द्रव या गैस के रूप में हो सकती हैं 

अधातुओं की रासायनिक अभिक्रियाँ:- 

(1)ऑक्सीजन के साथ अधातुओं की अभिक्रियाँ :- अधातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाँ करके अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं। 

अधातु + ऑक्सीजन अधातु ऑक्साइड 

उदाहरण :

C + O2 CO2 

S + O2 SO2  


Note] अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं। एवं जल में घुलकर अम्ल बनाते है।

अम्लों के साथ अभिक्रियाँ :- अधातुएँ सल्फ्यूरिक अम्ल नाइट्रिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करती है। 

उदाहरण :

S + 2H2SOSO2 + 2H2

P + 5HNO3 H3PO4 +5NO2 + H2

क्लोरिन के साथ अभिक्रियाँ :- अधातुएँ क्लोरिन के साथ अभिक्रियाँ करके क्लोराइड बनाती है |

हाइड्रोजन से अभिक्रियाँ :- अधातुएँ हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करके सहसंयोजक हाइड्राइड बनाती है। 


  • द्रव अवस्था में माई जाने वाली धातु मर्करी (Hg

  • ऐसी धातुएँ जिन्हें हथेली पर रखने पर पीघलने लगती है गैलियम और सीजियम

  • ऐसी ऐसी अधातु जो चमकीली होती है आयोडिन 

  • ऐसी अधातु जो विद्युत की सुचालक होती है ग्रेफाइट 


अपररूप :- कार्बन ऐसी अधातु हैजो विभिन्न रूपों में माई जाती हैप्रत्येक रूप को "अपररूप" कहते है। हीरा कार्बन का एक अपररूप हैयह सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ हैइसका गलनांक एवं क्वथनांक बहुत अधिक होता है। कार्बन का एक अन्य अपररूप ग्रेफाइट जो विद्युत का सुचालक होता है। 

आयनिक यौगिक :- धातु से अधातु में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण से बने यौगिकों को "आयनिक यौगिक" या "वैद्युत संयोजक यौगिक" कहा जाता है। 

उदाहरण :- NaCl, LiCl, CaCl2, CaO, MgCl2


आयनिक यौगिकों के गुणधर्म :- 


[1] भौतिक प्रकृति :- आयनिक यौगिक सामान्यतः ठोस एंव कठोर होते हैक्योकिं इन यौगिकों में विपरित आवेशित आयनों के मध्य प्रबल स्थिर - वैद्युत आकर्षण बल कार्य करता हैसामान्य रूप से इनकी प्रकृति भंगुर होती है। 

[2] गलनांक एवं क्वथनांक :- आयनिक यौगिकों का गलनांक एंव क्वथनांक बहुत अधिक होता हैक्योंकि ये मजबूत वैधुत वाहक बल के द्वारा जुड़े होते है। 

[3] घुलनशीलता :- वैधुत संयोजक यौगिक सामान्यतः जल में घुलनशील तथा केरोसिन, पेट्रोल आदि जैसे विलायकों में अविलेय होते है। 

[4] विद्युत चालकता :- ठोस अवस्था में आयनिक यौगिक विद्युत का चालन नहीं करते है। परन्तु आयनिक यौगिक गलित अवस्था में विद्युत का चालन करते है


धातुओं की प्राप्ति :- पृथ्वी की भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्वों या यौगिकों को खनिज कहते है। 

जिन खनिजों में कोई विशेष धातु काफी अधिक मात्रा में होती हैजिसे निकालना लाभकारी होता हैउन खनिजों को अयस्क कहते है


धातुओं का निष्कर्षण :- कुछ धातुएँ भू-पर्पटी में स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती है तथा कुछ धातुएँ अपने यौगिक के रूप में मिलती हैसक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाली धातुएँ सबसे कम क्रियाशील होती है एवं स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती हैजैसे:- सोना, चाँदी, ताँबा आदि । 

सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर आने वाली धातुएँ H, Na, Ca, Mg तथा Al बहुत अधिक क्रियाशील होती हैतथा कभी भी स्वतंत्र तत्त्व के रूप में नहीं पायी जाती है। 


यस्कों का समृद्धीकरण :- पृथ्वी से निकाले गए अयस्कों में मिट्टी, रेत, आदि बहुत सी अशुद्धियाँ होती है। जिन्हें "गैंग "कहते हैअयस्कों से सर्वप्रथम गैंग को हटाया जाता है 


सक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाली धातुओं का निष्कर्षण : सक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाली धातुएँ कम अभिक्रियाशील होती हैइन धातुओं के ऑक्साइड को केवल गर्म करने से ही प्राप्त किया जाता है

पारे का एक प्रमुख अयस्क "सिनाबार (HgS) है।



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